नंद नंदन सो कीजे प्रीति तो।
संपत्ति विपत्ति परे प्रतिपाले कृपा करे सो जीजे॥
प्रीति तो नंद नंदन सो कीजे
हस्त कमल की छाया राखे अंतर घट की जाने॥
प्रीति तो नंद नंदन सो कीजे
नंद नंदन सो कीजे प्रीति तो।
नंद नंदन सो कीजे प्रीति तो।
परमानंद इंद्र सो वैभव विप्र सुदामा पायो॥
प्रीति तो नंद नंदन सो कीजे
Nandnandan so kije priti to by Indresh Upadhyay with lyrics
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इंद्रेश उपाध्याय जी