Mai Bairagan Lycris By Shri Indresh Upadhyay Ji | Bhaktimati Meera Baiji - मैं बैरागन हूंगी

'मैं बैरागन हूंगी'- भक्तिमती मीरा बाई जी का मधुर भाव, 
श्री इंद्रेश उपाध्याय जी की रसमयी वाणी में।


।। मूल पद ।।
बाला मैं बैरागण हूंगी।

जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।

गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।

या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।

|| Bhajan- Mai Bairagan ||

बाला मैं बैरागन हूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी
जिन भेषा मेरो साहब रीझे
सोहि भेष धरूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी

कहो तो कुसुमल साड़ी रंगावा
कहो तो भगवा भेष
कहो तो मोतियन मांग भरावा
कहो छिटकावा केश
बाला मैं बैरागन हूंगी

प्राण हमारा वह बसत है
यहाँ तो खाली खोड़
मात पिता परिवार सहूँ है
कही ये दिन का तोड़
बाला मैं बैरागन हूंगी

बाला मैं बैरागन हूंगी -2
जिन भेषा मेरो साहब रीझे
सोहि भेष धरूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी

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