Shiv Stuti lyrics by Indresh Upadhyay - शिव स्तुति (शंकरं शंप्रदं)

 


शिव स्तुति, भगवान शिव की महिमा और उनके गुणों की प्रशंसा करने वाले भजन, स्तोत्र या श्लोक होते हैं। शिव को भारतीय पौराणिक कथाओं में "शिव", "महादेव", "भोलानाथ" और "नीलकंठ" जैसे कई नामों से जाना जाता है। उनकी स्तुति में उनके दिव्य गुण, उनके अद्वितीय स्वभाव और उनकी शक्ति की प्रशंसा की जाती है।

|| शिव स्तुति ||

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, 
शैल - कन्या - वरं, परमरम्यं ।
काम - मद - मोचनं, तामरस - लोचनं,
 वामदेवं भजे भावगम्यं ॥१॥

कंबु - कुंदेंदु - कर्पूर - गौरं शिवं, 
सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
सिद्ध - सनकादि - योगींद्र - वृंदारका,
विष्णु - विधि - वन्द्य चरणारविंदं ॥२॥

ब्रह्म - कुल - वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, 
विकट - वेषं, विभुं, वेदपारं ।
नौमि करुणाकरं, गरल - गंगाधरं, 
निर्मलं, निर्गुणं, निर्विकारं ॥३॥

लोकनाथं, शोक - शूल - निर्मूलिनं, 
शूलिनं मोह - तम - भूरि - भानुं ।
कालकालं, कलातीतमजरं, हरं, 
कठिन - कलिकाल - कानन - कृशानुं ॥४॥

तज्ञमज्ञान - पाथोधि - घटसंभवं, 
सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
प्रचुर - भव - भंजनं, प्रणत - जन - रंजनं, 
दास तुलसी शरण सानुकूलं ॥५॥


शिव स्तुति का महत्व:-

  • आध्यात्मिक शांति: शिव की स्तुति करने से आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  • भक्ति और विश्वास: भगवान शिव की स्तुति से भक्तों का विश्वास और भक्ति मजबूत होती है।
  • अच्छी किस्मत: माना जाता है कि शिव की स्तुति करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

भगवान शिव की स्तुति करने से न केवल उनकी कृपा प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति भी मिलती है।


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