krishna ji ki aarti lyrics hindi - shri banke bihari teri aarti gaun


कृष्ण जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की पूजा के दौरान की जाती है, विशेष रूप से कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर। कृष्ण जी, जो कि विष्णु के अवतार माने जाते हैं, भक्ति, प्रेम और समर्पण के प्रतीक हैं। उनकी आरती उनके प्रति भक्ति और प्रेम को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

॥ आरती कुंजबिहारी की॥

गले में बैजंती माला,बजावै मुरली मधुर बाला।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली।

लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,

चन्द्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की॥

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ (2)
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं।

गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की॥

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ (2)



जहां ते प्रकट भई गंगा,कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।

स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच,

हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की॥

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ (2)

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,बज रही वृंदावन बेनू।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद,

कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की॥

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ (2)




आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ (2)

Post a Comment

Previous Post Next Post