"जय जनार्दन कृष्ण राधिकापते" एक भक्ति-भावना से जुड़ा मंत्र या अभिव्यक्ति है, जो भगवान श्रीकृष्ण और उनकी दिव्य संगिनी राधा के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है।
॥ जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
गरुडवाहना कृष्णा गोपिकापते
नयनमोहना कृष्णा नीरजेक्षणा ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
सुजनबांधवा कृष्णा सुंदराकृते
मदनकोमला कृष्णा माधवा हरे
वसुमतीपते कृष्णा वासवानुजा
वरगुणाकरा कृष्णा वैष्णवाकृते ॥
सुरुचिनानना कृष्णा शौर्यवारिधे
मुरहरा विभो कृष्णा मुक्तिदायका
विमलपालका कृष्णा वल्लभीपते
कमललोचना कृष्णा काम्यदायका ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
विमलगात्रने कृष्णा भक्तवत्सला
चरणपल्लवं कृष्णा करुणकोमलं
कुवलयेक्षणा कृष्णा कोमलाकृते
तव पदांबुजं कृष्णा शरणमाश्रये ॥
भुवननायका कृष्णा पावनाकृते
गुणगणोज्वला कृष्णा नळिनलोचना
प्रणयवारिधे कृष्णा गुणगणाकरा
दामसोदरा कृष्णा दीनवत्सला ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
कामसुंदरा कृष्णा पाहि सर्वदा
नरकनाशना कृष्णा नरसहायका
देवकीसुता कृष्णा कारुण्यांबुधे
कंसनाशना कृष्णा द्वारकास्थिता ॥
पावनात्मका कृष्णा देहि मंगळं
त्वत्पदांबुजं कृष्णा श्यामकोमलं
भक्तवत्सला कृष्णा काम्यदायका
पालिशन्ननू कृष्णा श्रीहरी नमो ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
भक्तदासना कृष्णा हरसुनी सदा
कादुनिंतिना कृष्णा सलहयाविभो
गरुडवाहना कृष्णा गोपिकापते
नयनमोहना कृष्णा नीरजेक्षणा ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
गरुडवाहना कृष्णा गोपिकापते
नयनमोहना कृष्णा नीरजेक्षणा ॥
जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते
जनविमोचना कृष्णा जन्ममोचना
इसमें प्रत्येक शब्द का विशेष महत्व है:
जय जनार्दन:
"जनार्दन" भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम है, जिसका अर्थ है "संसार का पालनहार" या "लोगों के दु:खों का नाश करने वाले।" "जय" का अर्थ है विजय या स्तुति।कृष्णा:
भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। वे प्रेम, करुणा, धर्म और ज्ञान के प्रतीक हैं।राधिकापते:
"राधिका" राधारानी को संदर्भित करता है, जो भक्ति और प्रेम की देवी मानी जाती हैं। "पते" का अर्थ है पति या स्वामी। यहां "राधिकापते" का अर्थ हुआ "राधा के स्वामी," यानी श्रीकृष्ण।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
यह मंत्र कृष्ण भक्ति की भावना को प्रकट करता है। श्रीकृष्ण और राधारानी के संबंध को प्रेम और समर्पण का सर्वोच्च उदाहरण माना जाता है। इस मंत्र का जाप भक्त भगवान से जुड़ने और उनकी कृपा पाने के लिए करते हैं।
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