लोकाभिरामं स्तुति
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंत श्री रामचन्द्र शरणं प्रपद्ये ।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत बिपति भंजन सुखदायक ।।
मंगल भवन अमंगलहारी।
द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी ।।
जनकसुता जग जननि जानकी।
अतिसय प्रिय करुनानिधान की ।।
ताके जुगपद कमल मनावऊं ।।
जासु कृपाँ निरमल मति पावऊं ।।
महाबीर बिनवऊँ हनुमाना।
राम जासु जस आप बखाना ।।
प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन ।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चापधर ।।
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ।।
सीयराममय सब जग जानी ।
करउ प्रनाम जोरि जुग पानी ।।