शनि देव की आरती शनि देव को समर्पित है, जो न्याय के देवता और कर्मफलदाता माने जाते हैं। शनि देव की पूजा और आरती से जीवन में आने वाले कष्ट, बाधाएं और शनि की अशुभ दृष्टि का प्रभाव कम होता है। भक्तजन शनि देव की आरती करते समय अपने कर्मों का फल स्वीकार करने और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
यहाँ शनि देव की आरती प्रस्तुत है:
ॐ जय जय शनि महाराज,
स्वामी जय जय शनि महाराज ।
कृपा करो हम दीन रंक पर,
दुःख हरियो प्रभु आज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
सूरज के तुम बालक होकर,
जग में बड़े बलवान ।
सब देवताओं में तुम्हारा,
प्रथम मान है आज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर,
अपने श्रेष्ठन का ।
चकनाचूर किया बुद्धि को,
हिला दिया सरताज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
प्रभु राम और पांडवजी को,
भेज दिया बनवास ।
कृपा होय जब तुम्हारी स्वामी,
बचाई उनकी लॉज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
शुर-संत राजा हरीशचंद्र का,
बेच दिया परिवार ।
पात्र हुए जब सत परीक्षा में,
देकर धन और राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
गुरुनाथ को शिक्षा फाँसी की,
मन के गरबन को ।
होश में लाया सवा कलाक में,
फेरत निगाह राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ,
गैयन के रखवार ।
कलंक माथे का धोया उनका,
खड़े रूप विराज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
देखी लीला प्रभु आया चक्कर,
तन को अब न सतावे ।
माया बंधन से कर दो हमें,
भव सागर ज्ञानी राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी,
भूल भई हमसे ।
क्षमा शांति दो नारायण को,
प्रणाम लो महाराज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
ॐ जय जय शनि महाराज,
स्वामी जय-जय शनि महाराज ।
कृपा करो हम दीन रंक पर,
दुःख हरियो प्रभु आज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥
आरती का महत्व:
शनि देव की पूजा और आरती विशेष रूप से शनिवार के दिन की जाती है। पूजा के दौरान शनि देव को तिल का तेल, काला तिल, और काले कपड़े अर्पित करना शुभ माना जाता है। उनके ध्यान और आरती से न केवल मन शांत होता है, बल्कि जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं।
शनि देव को कर्म और न्याय का प्रतीक मानकर हमेशा सत्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा दी जाती है।