Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti (श्री बृहस्पति देव की आरती) जय वृहस्पति देवा

बृहस्पति देव की आरती बृहस्पति देव (गुरु ग्रह) को समर्पित है, जो विद्या, ज्ञान, धन और धार्मिकता के अधिष्ठाता माने जाते हैं। इनकी पूजा और आरती से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, शुभता और ज्ञान का विस्तार होता है। बृहस्पति देव का संबंध गुरुवार से है, और इस दिन इनकी आरती और व्रत करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

यहाँ बृहस्पति देव की आरती प्रस्तुत है:



 जय वृहस्पति देवा,

ऊँ जय वृहस्पति देवा ।

छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,

कदली फल मेवा ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी ।

जगतपिता जगदीश्वर,

तुम सबके स्वामी ॥



ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


चरणामृत निज निर्मल,

सब पातक हर्ता ।

सकल मनोरथ दायक,

कृपा करो भर्ता ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


तन, मन, धन अर्पण कर,

जो जन शरण पड़े ।

प्रभु प्रकट तब होकर,

आकर द्घार खड़े ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


दीनदयाल दयानिधि,

भक्तन हितकारी ।

पाप दोष सब हर्ता,

भव बंधन हारी ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


सकल मनोरथ दायक,

सब संशय हारो ।

विषय विकार मिटा‌ओ,

संतन सुखकारी ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


जो को‌ई आरती तेरी,

प्रेम सहित गावे ।

जेठानन्द आनन्दकर,

सो निश्चय पावे ॥


ऊँ जय वृहस्पति देवा,

जय वृहस्पति देवा ॥


सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।

बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

आरती का महत्व:
बृहस्पति देव की पूजा करते समय पीले वस्त्र पहनना और पीले फूल, पीले चने व गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन केले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है। आरती के साथ-साथ बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करना, जैसे:

“ॐ बृं बृहस्पतये नमः”

भक्तों को बुद्धि, विवेक और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।


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