Man Chal Vrindavan Chaliye lyrics - Shri RadhaKrishna Ji Mahara (मन चल वृन्दावन चलिए )


 

मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे रहंदे सांवल शाह । जित्थे रहंदे  ने बेपरवाह ॥


 मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे यमुना पई ठाठा मारदी । मन तू वी जाके गोता ला ॥


 मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे रिश्ते ना नाते ना अपने । जित्थे ना कोई धूप है ना छा है ।

जित्थे ना कोई बहन भरा ॥


 मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे निन्देया ना चुगली ना उस्तत्ति ।

जित्थे प्रेम दा वगे दरेआ ॥


मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे गोपी ग्वाल पाए झुमदे । मेरे मन नू वी चडिया चा ॥


मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


जित्थे मस्त मलंग पए झुमदे । तू वी राधे राधे गा ॥


मन चल वृन्दावन चलिए ।  मन चल वृन्दावन चलिए ॥


वृन्दावन सो वन नहीं, नंदगावं सम गावं ।

वन्सिवत सम वट नहीं, कृष्ण नाम सम नाम ॥

गीत रसीले श्याम के मेरे जीवन के आधार ।

छोड़ जगत झंझाल सभी कर मोहन सो प्यार ॥

कर मोहन सो प्यार, सुधार ले मानस सही ।

तेरो लाभ येही है जगत में भज ले परम सनेही ॥

मात पिता बंधू सज्जन सब स्वार्थ के मीत ।

तू हिय में मस्ती भर कर प्यारे, गा मोहन के गीत ॥


वृन्दावन वृन्दावन वृन्दावन रहिये ।

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